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गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के सामान्य लक्षण
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर



सर्वाइकल कैंसर वह कैंसर है जो महिला के गर्भाशय की गर्दन (सर्विक्स) में होता है। यह तब शुरू होता है जब वहां की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और नियंत्रित नहीं रहतीं। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह आसपास के ऊतकों और अंगों में फैल सकता है।

गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के प्रकार

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma)
सबसे आम प्रकार, लगभग 70–80% मामले इसी का होते हैं।
यह सर्विक्स की सतही कोशिकाओं (squamous cells) में शुरू होता है।
शुरुआती चरण में अक्सर लक्षण नहीं दिखते, लेकिन आगे चलकर असामान्य रक्तस्राव या स्राव दिखाई दे सकते हैं।

एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)
यह ग्रंथियों (glandular cells) से उत्पन्न होता है।
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की तुलना में कम आम है।
यह आमतौर पर सर्विक्स के अंदरूनी हिस्से में विकसित होता है और शुरुआती लक्षण कम स्पष्ट होते हैं।
मुख्य कारण:

HPV (Human Papillomavirus) संक्रमण
यह सबसे प्रमुख कारण है।
HPV के प्रकार 16 और 18 सर्वाइकल कैंसर से जुड़े हैं।

असुरक्षित यौन संबंध
कई यौन साथी होने पर संक्रमण का खतरा बढ़ता है।

धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
शरीर की प्रतिरक्षा कमजोर होकर कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

कमजोर इम्यून सिस्टम
HIV या अन्य रोग प्रतिरक्षा कमजोर करने वाले कारण।

लंबे समय तक जन्म नियंत्रण गोलियों का उपयोग
हार्मोनल बदलाव से जोखिम बढ़ सकता है।

अनियमित स्वास्थ्य जांच
नियमित पैप स्मीयर टेस्ट न करवाने पर शुरुआती पहचान मुश्किल होती है।
गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर में मेटाबॉलिक उपचार की प्रभावशीलता
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर में मेटाबॉलिक उपचार एक सहायक पद्धति के रूप में उपयोग होती है। यह उपचार शरीर के ऊर्जा चयापचय (metabolism) को संतुलित करके कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करता है। कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक ग्लूकोज़ पर निर्भर होती हैं। मेटाबॉलिक थेरेपी में लो-कार्ब, पौष्टिक और अल्कलाइन आहार अपनाने से ग्लूकोज़ की उपलब्धता कम होती है और अस्वस्थ कोशिकाओं की वृद्धि रुकती है।
साथ ही, योग, प्राणायाम और हल्की शारीरिक गतिविधि शरीर में ऑक्सीजन और पीएच स्तर को संतुलित करते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं के लिए प्रतिकूल वातावरण बनता है। हर्बल सप्लीमेंट और एंटीऑक्सीडेंट इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और सूजन कम करते हैं। यह पद्धति मुख्य चिकित्सा के साथ मिलकर थकान कम करने, दर्द घटाने और रोगी की जीवन गुणवत्ता सुधारने में मदद करती है।